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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 14

 

                    मेरा बाप  मेरा दुश्मन   ( भाग 14 )


                   अब तक आपने पिछले भागौ में पढ़ा  कि किस प्रकार  तान्या व विशाल भागकर  शादी  कर लेते  हैं। उनके एक बेटी जन्म लेती है जिसका नाम  रमला होता है। तान्या की मौत होजाती है जिससे विशाल सारिका से शादी कर लेता  है। सारिका व रमला की आपस में नहीं बनती है। सारिका की एक सहेली सलौनी मिलकर  रमला के साथ  खेल खेलते है। वह एक विक्रम  नाम के लड़के के द्वारा उसे प्रेम के जाल में फसवाते हैं। पहले तो विक्रम  इसके लिए  तैयार ही नहीं होता है। परन्तु वह दोंनो उसे गलत काम करते हुए का उसका वीडियो बना लेती है। और उसको ब्लैक मेल करती है। विक्रम  लाचार  होकर उनके इशारौ पर नाचने लगता है आगे की कहानी इस भाग  में पढ़िए। 


                      अब विक्रम को रमला पटती नजर आरही थी आज उसको कामयाबी मिलती नजर आने लगी थी। वह आज खुश था क्यौकि उसे रमला दिल से अच्छी लगने लगी थी।

    परन्तु सलौनी व सारिका का चेहरा सामने आते ही वह अन्दर से काँपने लगता था विक्रम सोचने लगा कि मैं रमला को सब कुछ बता दूगा कि मुझे ब्लैक मेल करके तुम्है फसवाया जा रहा है।

      अब उसको उन दौनौ पर क्रोध आरहा था उसको अपना वह मनहूस दिन याद आगया जिस दिन वह पहली बार सलौनी से मिला था।

     यह बात आजसे लगभग एक बर्ष पहले की थी। उसको उसकी मम्मी ने किसी काम से सलौनी के घर भेजा था।

     दरवाजा खुला था ।  इसलिए बिना डोरबैल बजाये अन्दर चला गया। उस समय सलौनी बाथरूम से नहाकर  बाहर आई थी उसने  अपने शरीर पर केवल एक तौलिया लपेट रखा था।

        उसने सलौनी के गदराये हुए शरीर को देखा तो उसे देखता ही रहगया। सलौनी भी विक्रम को देखकर  खडी़ की खडी रह गयी।

       अब दौनौ एक दूसरे को देखे ही जारहे थे कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था।

      कुछ समय बाद विक्रम ही बोला " सारी आन्टी इसमें मेरी कोई गल्ती नहीं है आपका दरवाजा खुला था इसलिए मै बिना बैल बजाये अन्दर आगया।  कसम से मैने कुछ नही देखा।"

      " देखो पहली बात तो मै आन्टी नहीं भाभी हूँ देवर जी सब कुछ तो देख लिया अब और क्या देखना है ? चलो अन्दर वह भी दिखादूँगी। मेरी भूल थी कि मैने कुन्डी नही लगाई।  क्या चाहिए आपको ?," सलौनी मुस्कराती हुई बोली।

    " मै तो भूल ही गया कि मम्मी ने क्या मँगवाया था। " ,वह हकलाता हुआ बोला।

       "देवर जी इस भूलने की आदत को सम्भालो ।यदि अभी से भूलने लगे तो पछताओगे।मेरी बात ध्यान से सुन लेना।", सलौनी मक्खन लगाती हुई बोली।

     विक्रम उसकी बातौ की अन सुनी करता हुआ वहाँ से चला गया और अपनी मम्मी से बोला मम्मी वह नहा रही है।
       उस दिन के बाद विक्रम सलौनी को छिप कर देखने लगा क्यौकि  उसकी नजरौ से उसका भीगा हुआ बदन दूर नहीं होता था। उसने इस तरह पहली बार किसी औरत को बिना कपडो़ के देखा था। उसने एसा सीन  आजतक सिनेमा में देखा था।

       एक दिन सलौनी ने अपनी छत से उसे इशारा करके अपने घर बुला ने लगी।

    विक्रम शरम से उसके घर नहीं जाना चाहता था। उसे डर लगता था कि वह न जाने क्यौ इशारा करती है।
  
      एक दिन विक्रम की मम्मी  बोली," बेटा विक्रम सलौनी चाची से थोडा़ सा दूध लेआ कहना हमारा दूध बिल्ली पी गयी है।

     विक्रम दूध लेने सलौनी के पास गया ।सलौनी उसे दूध के बहाने से अन्दर कमरे में लेकर गयी और उसको पकड़ लिया और उसका चुम्बन लेने लगी।

        विक्रम उससे छूटकर कौने मे खडा़ होगया।

   सलौनी बोली," दैखो देवर जी आज यहाँ से जाने नही दूँगी या मेरी बात मानलो नही तो शोर मचा दूँगी कि इन्हौने मुझे छेडा़ है।
     
       इतना कहकर उसने अपना ब्लाउज उतार कर फैक दिया।

      विक्रम  भय से काँपने लगा और बोला," यह मुझसे नहीं होगा । मेरी मम्मी मेरी बाट देखरही होगी। "

      उस पर तो इश्क का भूत सवार था वह कहा मानने वाली थी ।

    विक्रम बोला," मै कल आऊँगा आज नहीं ।"

   लेकिन सलौनी ने उसकी एक नही सुनी और उसके साथ रंगरेलिया मनाकर ही मानी।

       उस दिन से विक्रम  उसकी सब बाते मानता  था। वह उसके इशारे पर चलता था। आज वह अपनी उस दिन की भूल पर पछतावा कर रहा था। वह सलौनी को धोका नहीं देना चाहता था।

          वह रमला से बोला," देखो रमला मै तुम्है पहले दिन देखते ही तुम्है अपना दिल दे बैठा था। आज तक मैने  किसी से प्यार करना तो दूर की बात है मैने किसी की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा है। तुम मेरी जिन्दिगी में पहली लड़की हो। "

       रमला बोली," यार तू भाषण तो अच्छा देलेता है। मै कहती हूँ तू नेता बनजा और चुनाव लड़ले। "

     रमला की बात सुनकर विक्रम को हसी आगयी और वह बोला,"तुम भी मजाक अच्छा कर लेती हो प्यार भूलकर नेता बनने को बोल रही हो।

     उसी समय सारिका वहाँ आगयी और विक्रम से बोली," विक्रम तू कब आया ? और आज क्या बहस चल रही है। "

विक्रम रमला की तरफ इशारा करके बोला," आन्टी को बता दूँ। "

    रमला बोली," बतादे न  तुझे शरम लगरही है तो मै बता दैती हूँ।  "

    रमला अपनी मासे बोली," माँ यह तुम्हारा दामाद बनने का सपना देखरहा है। मै  इससे बोली थी कि ओ मजनू की औलाद  प्यार को भूल जा कहीं जाकर दो पैसे कमाने का धन्धा देखले। मैने कुछ गलत कहा है ? आपही बताओ माँ।

      सारिका रमला की हाँ मे हाँ मिलाकर बोली," तू ठीकहीतो कह रही है जा पहले कुछ काम धन्धा करले  । रही इसकी  बात यह कहीं नहीं जाने वाली। यह मेरी  गारंटी है। यह यहीं मिलेगी।

रमला को अपनी सौतेली माँ की बातौ पर हसी आरही थी कि इसने तो ऐसे हाँ करदी कि मै इसी की अमानत हूँ।

            क्रमशः आगे की कहानी अगले भाग  में पढ़िए। 


कहानीकार  प्रतियोगिता  हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "


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3 Comments

Varsha_Upadhyay

15-Jul-2023 07:44 PM

बहुत खूब

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Alka jain

15-Jul-2023 02:44 PM

Nice one

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Gunjan Kamal

14-Jul-2023 09:05 AM

👌👏

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